एसजेवीएन ने चौबीसों घंटे (आरटीसी) बिजली आपूर्ति के लिए उत्पादों के विकास को लेकर पीटीसी इंडिया के साथ किया एमओयू

शिमला

एसजेवीएन लिमिटेड ने चौबीसों घंटे (आरटीसी) बिजली की आपूर्ति के लिए उत्पादों के विकास पर सहयोग करने के लिए पीटीसी इंडिया लिमिटेड (जिसे पहले पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए हैं। समझौता ज्ञापन पर अखिलेश्वर सिंह, निदेशक (वित्त), एसजेवीएन लिमिटेड और डॉ. राजीव कुमार मिश्रा, निदेशक (बीडी और विपणन), पीटीसी इंडिया लिमिटेड ने राजेश कुमार गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, एसजेवीएन एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए।

इस अवसर पर नन्‍द लाल शर्मा, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, एसजेवीएन ने बताया कि एसजेवीएन और पीटीसी संयुक्त रूप से लाभार्थियों को आरटीसी बिजली की आपूर्ति के लिए एसजेवीएन की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से उत्‍पादित ऊर्जा के साथ उपलब्ध बाजार क्षमता को साथ मिलाकर आपूर्ति के लिए उत्पाद विकसित करेंगे। पीटीसी एसजेवीएन को पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं प्रदान करेगा। उन्होंने आगे कहा कि इस समझौता ज्ञापन का प्राथमिक उद्देश्य आरटीसी पावर के लिए एसजेवीएन की अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से ऊर्जा मिश्रण के विकास को सुगम बनाना है।

नन्द लाल शर्मा ने यह भी बताया कि एमओयू के तहत पीटीसी मर्चेंट पावर की विभिन्‍न स्रोतों से क्षमता की उपलब्धता के संदर्भ में बाजार की आवश्‍यक जानकारी उपलब्‍ध कराएगा। इसके अतिरिक्‍त, पीटीसी भारत भर में संभावित लाभार्थियों को एसजेवीएन की प्रस्‍तावित अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की आपूर्ति के संबंध में विस्तृत रिपोर्ट का अध्ययन, अन्वेषण, तैयार करके प्रस्तुत करेगा।
भारत सरकार ने सभी को 24X7 बिजली की परिकल्पना की है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (सीओपी 26) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत की 2030 तक 500 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्‍पादन करने का लक्ष्‍य है। केंद्रीय ऊर्जा और एनआरई मंत्री आर.के. सिंह 24X7 सस्ती और हरित बिजली के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अक्षय ऊर्जा क्षमता का दोहन पूरी सक्रियता के साथ करने के लिए बिजली क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों को अति कुशल मार्गदर्शन और सहयोग प्रदान कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप, एसजेवीएन 2023 तक 5000 मेगावाट, 2030 तक 12000 मेगावाट और 2040 तक 25000 मेगावाट क्षमता वृद्धि का अपना साझा विजन लेकर अग्रसर है।

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